जानें जन्मजात ह्र्दय रोग के कारण
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जन्मजात ह्र्दय रोग (कंजेनिटल हार्ट डिजीज): देशभर में लगातार हृदय से जुड़ी बीमारियां तेज़ी से बढ़ रही हैं, एक रिसर्च के अनुसार भारत में हर साल लगभग 17 लाख लोगों की मौत केवल दिल से संबंधित रोगों के कारण ही होती है, इसके अलावा हर 10 बच्चे जन्मजात हृदय रोग से भी पीड़ित होते हैं,
जन्मजात हृदय रोग के कारण:
जन्मजात हृदय रोग एक ऐसी बीमारी है जो नवजात शिशुओं में जन्म के दौरान से ही शरीर में मौजूद होती है। ये बीमारी आगे चलकर काफी खतरनाक साबित हो सकती है। जन्मजात हृदय रोग कई कारणों से होता है जैसे-
अनुवांशिक कारणों से भी जन्मजात हृदय रोग होने की संभावना ज्यादा रहती है, अगर माता पिता या उनके खून में किसी को भी जन्मजात हृदय रोग है तो होने वाले बच्चों में भी ये बीमारी आसानी से देखी जा सकती है।
कुछ महिलाएं गर्भावस्था के दौरान कई तरह की दवाइयों का सेवन करती हैं, ऐसे में पैदा होने वाले बच्चों को जन्मजात हृदय से जुड़ी दिक्कतें हो सकती हैं।
अधिक शराब पीना या नशीली दवाइयों का सेवन भी इस बीमारी की सबसे बड़ी वजह है।
डॉक्टर्स का मानना है कि जो महिलाएं गर्भावस्था के पहले तीन महीने तक रूबेला का शिकार हो जाती हैं उनके पैदा होने वाले बच्चे में भी ये शिकायत देखी जा सकती है।
गर्भावस्था में अधिक धुम्रपान और कोकीन जैसी चीजों का सेवन करने से होने वाले बच्चे के हृदय में विकार हो सकता है।
जन्मजात हृदय रोग के लक्षण:
नवजात बच्चे किसी भी तरह के लक्षणों को बताने में असमर्थ होते है, लेकिन जन्मजात हृदय से जुड़े रोगों के लक्षणों को आप बच्चों द्वारा की जाने वाली हरकतों से पहचान सकते हैं जैसे-
अगर बच्चा हृदय से जुड़ी किसी भी बीमारी से जूझ रहा है तो वो बड़ी तेज़ी से सांस लेता और छोड़ता है।
नवजात बच्चे की त्वचा, नाखून और होठों पर नीलापन होने लगता है।
थकान होना इस बीमारी के सबसे सामान्य लक्षणों में से एक है, अगर बच्चा हृदय रोग से पीड़ित है तो फीडिंग के दौरान भी थक जाता है।
अगर बच्चा थोड़ा बड़ा है तो हमेशा सीने में दर्द होने कीकी शिकायत करेगा, और थोड़ा सा भी खेलने औऱ सीढ़ियां चढ़ने पर उसकी सांसे फूलने लगेंगी।
हृदय रोग से पीड़ित बच्चों का वजन भी ज़रूरत से ज्यादा कम रहता है और उनका शारीरिक विकास भी रूक जाता है।
जन्मजात हृदय रोग का इलाज:
इस तरह की बीमारियों के इलाज को सर्जरी, एंजियोग्राफी औऱ अंब्रेला डिवाइस से की जाती है। लेकिन अगर समस्या मामूली सी है तो दवाई से भी ये ठीक हो सकती है। इसके अलावा भी जन्मजात हृदय रोग कई तरह से ठीक किया जा सकता है.
चेकप कराना: कई मामलों में हृदय रोगों का पता बचपन में लग जाता है, क्योंकि पैदा होने के तुरंत बाद डॉक्टर्स बच्चे की पूरी तरह से जांच करते हैं इस दौरान जो भी बीमारी बच्चे में पनप रही होती है उसका पता लग जाता है, ऐसे में अगर आपको पता लगे कि आपके नवजात में हृदय से जुड़ी कोई बीमारी है तो हमेशा समय समय पर चेकप करवाते रहें।
दवाइयां: जन्मजात हृदय रोग का पता जब शुरूआत में लग जाता है तो इस स्थिति में इसे कुछ दवाइयों से भी ठीक किया जा सकता है। इस दौरान बच्चे को ऐसी दवाइयां दी जाती है जो हृदय को ठीक ढंग से काम करने में मदद करती है
कैथीटेराइजेशन: जन्मजात हृदय रोग को ठीक करने के लिए बच्चों की कैथीटेराइजेशन तकनीक से इलाज किया जाता है। इस तकनीक से छाति और दिल का ऑपरेशन किए बिना ही बीमारी को ठीक करने की कोशिश की जाती है.
ओपन हार्ट सर्जरी: ओपन हार्ट सर्जरी दिल की बीमारियों को ठीक करने का सबसे बेहतर तरीका माना जाता है, जब कैथेटर प्रक्रिया द्वारा भी बीमारी ठीक नहीं होती है तो इस स्थिति में बच्चे का ओपन हार्ट सर्जरी किया जाता है।
हार्ट ट्रांसप्लांट : जब जन्मजात हृदय रोगों की स्थिति गंभीर रूप में पहुंच जाती है तो इस दौरान हार्ट ट्रांसप्लांटेशन करना पड़ता है। जो कि बहुत जटिल और गम्भीर होता है.
जन्मजात हृदय रोग का इलाज और ऑपरेशन इसकी गंभीरता पर निर्भर करता है, अलग-अलग इलाज में इसका अलग अलग खर्चा आता है। लेकिन परेशानी की बात नहीं है क्योंकि आजकल कई सरकारी और गैर-सरकारी संस्थाएं इलाज में आर्थिक मदद भी करती हैं। जैसे - जेनेसिस फाउंडेशन , उन गरीब परिवारों के बच्चों की मदद करती है जिनकी महीने की कमाई 15 हजार या फिर इससे कम होती है .
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