Genesis Foundation: Partnering to Strengthen NGO for child heart surgery Initiatives in Jaipur

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Genesis Foundation, a dedicated NGO for child heart surgery , proudly announces its partnership with Mahatma Gandhi Medical College and Hospital, Jaipur. This collaboration marks a significant step in our journey to provide timely and life-saving heart treatment to more children in need.

दिल में सुराख की वजह और बचाव के उपाय

दिल में सुराख कैसे होता है तथा इसका इलाज़ अथवा उपचार या बचाव कैसे किया जा सकता है यह कुछ ऐसे सवाल हैं जिनका जवाब इंटरनेट पर काफी तलाशा जाता है।  दिल में सुराख होने की बीमारी को मेडिकल भाषा में 'कॉन्जेनिटल हार्ट डिफेक्ट्स' (सीएचडी) कहते हैं तथा । मानव दिल की संरचना के हिसाब से दिल में चार चेम्बर होते हैं और दिल में सुराख होने का मतलब है कि दिल के दो चैम्बरों के बीच की दीवार में छेद होना, जिससे खून का प्रवाह असामान्य हो जाता है। जो कि आजकल ह्रदय से जुड़ी बीमारी का होना आम बात हो गई। यह समस्या आमतौर पर कुछ बच्चो में जन्म से होती है, लेकिन कुछ मामलों में बाद में भी हो सकती है। कई बार माता-पिता और परिवार वाले दिल में होने वाले सुराख के शुरुआती लक्षणों को पहचान नहीं पाते हैं। 

दिल में सुराख की वजह अलग-अलग हो सकती है। काफ़ी दोष जन्मजात होते हैं, जो गर्भावस्था के दौरान दिल के भागों के सही से विकसित न होने के कारण होते हैं। ये सुराख दिल के ऊपरी भाग, जिसे एट्रियल कहते है और निचले भाग जिसे वेंट्रिकल्स कहते है इन दोनों कक्षाओं में हो सकते हैं, और रक्त का प्रवाह को प्रभावित कर सकते हैं।



दिल में सुराख होने के कुछ प्रमुख कारण:- 

• माँ के गर्भावस्था के दौरान कोई संक्रमण, जैसे कि रूबेला - रूबेला एक वायरल संक्रमण है जो त्वचा पर यह आमतौर पर बच्चों में होता है और कोई गंभीर समस्या नहीं पैदा करता है । हालांकि, यदि गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को रूबेला होता है, तो यह उनके अजन्मे बच्चे के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है।

• माँ के गर्भावस्था के दौरान कोई दवा, शराब, सिगरेट, या अन्य प्रभावी पदार्थों का सेवन करने से ।

• परिवार में हृदय समस्या का इतिहास रहा हो।

दिल में सुराख का पता चलते ही सही समय पर इलाज करा लेना चाहिए नहीं तो यह आगे जाकर जानलेवा साबित हो सकता है। दिल में सुराख होने के कुछ प्रमुख लक्षण होते हैं, जो आसानी से पहचाने जा सकते हैं जैसे-


• सांस लेने में तकलीफ: सांस लेने में कमी, तेजी से सांस लेना

• पीली त्वचा और होंठ और नाखूनों के पास नीले रंग का दिखना

• बार बार होने वाला श्वसन संक्रमण

• वजन बढ़ने में दिक्कत

• भोजन करते समय पसीना आना

• तेज हृदय गति

• लगातार खाने में असमर्थ

• वजन बढ़ाने में असफल


दिल में सुराख के बचाव के उपाय में जन्मजात हृदय दोष को पूरी तरह से रोकना संभव नहीं है, लेकिन कुछ उपायों से इसकी संभावना को कम किया जा सकता है। जो इस प्रकार हैं: 

• गर्भावस्था के दौरान मां का स्वास्थ्य और पोषण पर ध्यान दें। मां को किसी भी प्रकार का संक्रमण, शराब, सिगरेट, या अन्य हानिकारक पदार्थों से दूर रहना चाहिए।

• मां को गर्भावस्था के पहले ही मेडिकल चेक-अप करवाना चाहिए, और किसी भी समस्या का पता लगने पर डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए।

• मां को रूबेला का टीका लगवाना चाहिए, अगर पहले से ही नहीं हुआ है, क्योंकि यह संक्रमण हृदय में सुराख होने का प्रमुख कारण है।

• माँ-पिता के परिवार में हृदय समस्या का पहले से होना. पर, माँ-पिता को जेनेटिक काउंसलिंग करवानी चाहिए।

• माताओ को समय-समय पर अपनी स्वास्थ्य चेकअप करवानी चाहिए।

इस ब्लॉग के माध्यम से हमने देखा कि दिल में सुराख कैसे होता है, और इसके बचाव और उपाय के भी बारे में बात की । ऐसे और भी लेखन पढ़ने के लिए जेनेसिस फॉउण्डेशंन के ब्लॉग सेक्शन पर जाएं https://www.genesis-foundation.net/blog/ 

 

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